जादुगोड़ा खान
झारखण्ड राज्य के पूर्वी एवं पश्चिम सिंहभूम जिले में लगभग 160 किलोमीटर लम्बी 1 से 10 किलोमीटर चौड़ी सिंहभूम आधात पट्टी की खनिजयुक्त परिधि में यूरेनियम अयस्क पाया जाता है । इस परिधि की चट्टानें बहुत परतदार एवं अन्दर से कटी हुई हैं जिसमें यूरेनियमयुक्त खनिज अति सूक्ष्म मात्रा में वितरित है । अयस्क प्रोटेरोजोइक काल की रूपान्तरित चट्टानों में उभरी हुई अवस्था में पाया जाता है । खान में अयस्क की पहचान एवं ग्रेड नियंत्रण गिगरमुलर काउन्टरों व सिण्टिलेशन प्रोब्स के द्वारा की जाती है ।
देश की सर्वप्रथम यूरेनियम खान जादुगोड़ा में सन् 1967 में प्रारम्भ हुई । टावर माउण्टेड फ्रिक्शन वाइन्डर के साथ इसके साफट को चालू किया जाना भारत के खनन उद्योग के लिए तकनीकी रूप से मील का पत्थर साबित हुआ ।
640 मीटर गहरी खान तक 5 मीटर ब्यास वाले उर्घ्वाकार साफट की मदद से पंहुचा जाता है ।साफट चारों ओर कंक्रीट दीवार से धिरा हुआ है तथा इसके प्रतिभार के साथ एक केज तथा एक स्किप है । केज में 50 व्यक्तियों के तथा स्किप में एक समय में 5 टन अयस्क ले जाने की व्यवस्था है । खान में वायु प्रवेश का मार्ग इसी साफट से है , इसके अतिरिक्त सभी सर्विस लाइन जैसे दाबित पानी एवं वायु की पाइप लाइन, संचार एवं विद्युत लाइन इसी के द्वारा खान में गयी हैं । वर्तमान साफट 555 मीटर की गहराई तक जाता है तथा एक सहायक साफ्ट 905 मीटर की गहराई तक जाता है जिसमें आधुनिक फिक्सन वाईण्डर भी है जो खान की गहरी सतहो तक खनन सम्भव करता है । खान में उच्च क्षमता का आधुनिक वेन्टीलेशन सिस्टम है जो खान के अन्दर शुध्द वायु के प्रवाह को सुनिश्चित करता है । स्टूप के लिए समतल कट एण्ड फिल पध्दति को अपनाया गया है । मिल अवशिष्ट को खान के खाली हुए स्थानों को भरने के लिए उपयोग किया जाता है । अयस्क को एक कनवेयर द्वारा निकटवर्ती संसाधन संयंत्र में स्थानान्तरित किया जाता है । खनन के क्षेत्र में, विशेषकर यूरेनियम खनन के क्षेत्र में निपुण मानव संसाधन एवं विशेषज्ञ उपलब्ध कराने का श्रेय जादुगोड़ा खान को जाता है।